विश्वविद्यालय एवं उच्च शिक्षण संस्थान अब मशहूर एक्सपर्ट्स को Professors of Practice (POP) in Universities and Colleges category के तहत फैकल्टी मेंबर्स के रूप में नियुक्त कर सकेंगे। इसके लिए औपचारिक शैक्षणिक योग्यता और प्रकाशन की आवश्यकताएं अनिवार्य नहीं होंगी।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) द्वारा अधिसूचित नये दिशा-निर्देशों के अनुसार इंजीनियरिंग, विज्ञान, मीडिया, साहित्य, उद्यमिता, सामाजिक विज्ञान, ललित कला, सिविल सेवा और सशस्त्र बलों जैसे क्षेत्रों के विशेषज्ञ इस श्रेणी के अंतर्गत नियुक्ति के लिए पात्र होंगे।
आपको बताते चलें कि POP दुनिया भर में सामान्य है। POP, मुख्य रूप से गैर-कार्यकाल वाले संकाय सदस्य होते हैं। ये मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी), हार्वर्ड यूनिवर्सिटी, स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी, एसओएएस यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन, कॉर्नेल यूनिवर्सिटी, यूनिवर्सिटी आफ हेलसिंकी जैसे कई विश्वविद्यालयों में प्रचलित है। भारत में भी, पीओएस को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली, मद्रास और गुवाहाटी में नियुक्त किया जाता है।
दिशानिर्देशों में कहा गया है, ''प्रोफेसर्स आफ प्रैक्टिस की नियुक्ति एक निश्चित अवधि के लिए होगी। उनकी नियुक्ति किसी विश्वविद्यालय या कॉलेज के स्वीकृत पदों को छोड़कर होगी। यह स्वीकृत पदों की संख्या और नियमित संकाय सदस्यों की भर्ती को प्रभावित नहीं करेगी। यह योजना उन लोगों के लिए खुली नहीं होगी जो शिक्षण पद पर हैं, चाहे सेवारत या सेवानिवृत्त हों।''
दरअसल यूजीसी पीएचडी की अनिवार्यता को खत्म करने के लिए बहुत गंभीर हैं। केंद्र सरकार ने यूजीसी नियमों में बदलाव कर सहायक प्रोफेसर पद के लिए पीएचडी को न्यूनतम योग्यता तय किया था। बदले हुए नियम जुलाई 2021 से लागू होने थे, लेकिन कोरोना महामारी के कारण इन नियमों को लागू करने की तारीख आगे करके जुलाई, 2023 कर दी गई है।