आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) एक ऐसा क्षेत्र है जिसने 21वीं सदी में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के परिदृश्य को बदल दिया है। आज के समय में AI तेज़ी से हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग बनती जा रही है। स्मार्ट अलार्म से लेकर सोशल मीडिया तक, AI का प्रभाव हर जगह है। लेकिन AI असल में क्या है, और यह भविष्य में क्या बदलाव लाने वाली है? इस लेख में हम एआई के विकास, वर्तमान अनुप्रयोगों और भविष्य की संभावनाओं की विस्तृत चर्चा करेंगे।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस क्या है?
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का अर्थ है मशीनों द्वारा मानव बुद्धिमत्ता के समान कार्यों का अनुकरण करना। AI को मशीनों द्वारा प्रदर्शित बुद्धिमत्ता के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। यह तकनीकों का समूह है जो मशीनों को सीखने, समस्याओं को सुलझाने और निर्णय लेने में सक्षम बनाता है, या फिर कह सकते हैं ये मशीन भी एक मानव जैसा ही है।
AI के इतिहास के बारे में चर्चा करें तो 1956 में डार्टमाउथ सम्मेलन के दौरान जॉन मैकार्थी ने "आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस" शब्द को गढ़ा। 1950 और 1960 के दशकों में प्रारंभिक एआई अनुसंधान ने समस्या-समाधान और प्रतीकात्मक विधियों की खोज की। हालांकि, सीमित कंप्यूटिंग शक्ति और समझ के कारण प्रगति धीमी रही।
यह विभिन्न तरीकों से किया जाता है:
1. मशीन लर्निंग: एल्गोरिदम को भारी मात्रा में डेटा पर प्रशिक्षित किया जाता है, ताकि वे पैटर्न और संबंधों का विश्लेषण करके भविष्यवाणियां और निर्णय ले सकें। इतना ही नहीं इसके द्वारा एल्गोरिदम को एक लेबल किए गए डेटासेट पर प्रशिक्षित किया जाता है, जहां सही आउटपुट ज्ञात होता है। इसका उपयोग छवि वर्गीकरण और भाषण मान्यता जैसे कार्यों के लिए किया जाता है।
2. डीप लर्निंग: मानव मस्तिष्क से प्रेरित, कृत्रिम तंत्रिका नेटवर्क का उपयोग जटिल पैटर्न और संबंधों को डेटा से सीखने के लिए किया जाता है। इसके साथ ही एल्गोरिदम बिना लेबल वाले डेटा पर काम करता है, पैटर्न और संबंधों की पहचान करता है।
3. प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण (NLP): मशीनों को मानव भाषा को समझने और उत्पन्न करने में सक्षम बनाता है, जो चैटबॉट, मशीन अनुवाद और भावना विश्लेषण जैसे कार्यों में महत्वपूर्ण है।
भविष्य में इसके उपयोग को मिलेगा बढ़ावा
राष्ट्रीय स्तर पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कार्यक्रम की रूपरेखा बनाने के लिये नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है। इसमें सरकार के प्रतिनिधियों के अलावा शिक्षाविदों तथा उद्योग जगत को भी प्रतिनिधित्व दिया जाएगा। इतना ही नहीं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के नैतिक, कानूनी और सामाजिक निहितार्थों को समझना तथा उन पर काम करना भी इस क्षेत्र में शामिल है।
वर्तमान बजट में सरकार ने फिफ्थ जनरेशन टेक्नोलॉजी स्टार्ट अप के लिये 480 मिलियन डॉलर का प्रावधान किया है, जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग इंटरनेट ऑफ थिंग्स, 3-D प्रिंटिंग और ब्लॉक चेन शामिल हैं। इसके अलावा सरकार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स, डिजिटल मैन्युफैक्चरिंग, बिग डाटा इंटेलिजेंस, रियल टाइम डाटा और क्वांटम कम्युनिकेशन के क्षेत्र में शोध, प्रशिक्षण, मानव संसाधन और कौशल विकास को बढ़ावा देने के योजना बना रही है।
आने वाले भविष्य में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की ऐसी रचना की जाएगी, जो कि मनुष्यों के मस्तिष्क से अधिक तीक्ष्ण होगी। यह बुद्धिमत्ता समस्याओं के समाधान बहुत तीव्रता से कर सकेगी, जो कि मनुष्य की क्षमता से परे है। हालांकि ये भी माना जा रहा है कि 2045 तक मशीनें स्वयं सीखने और स्वयं को सुधारने में सक्षम हो जाएंगी और इतनी तेज़ गति से सोचने, समझने और काम करने लगेंगी कि मानव विकास का पथ हमेशा के लिये बदल जाएगा।
एग्रीकल्चर में AI की भूमिका
AI बड़ी मात्रा में डेटा processed करके और वास्तविक समय पर निर्णय लेकर सटीक कृषि को सक्षम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है:
1. डाटा एनालिसिस: एआई एल्गोरिदम सेंसर, ड्रोन, उपग्रह और ऐतिहासिक रिकॉर्ड सहित विभिन्न स्रोतों से डेटा का विश्लेषण करता है। यह डेटा विश्लेषण मिट्टी की स्थिति, मौसम के पैटर्न, फसल स्वास्थ्य और बहुत कुछ के बारे में जानकारी प्रदान करता है।
2. डिसिशन सपोर्ट: एआई सिस्टम किसानों को डेटा विश्लेषण के आधार पर कार्रवाई योग्य सिफारिशें प्रदान करता है। उदाहरण के लिए, वे सिंचाई के स्तर को समायोजित करने, विशिष्ट उर्वरकों को लागू करने, या खेत के उन क्षेत्रों की पहचान करने की सिफारिश कर सकते हैं जिन पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
3. ऑटोमेशन: स्वायत्त ट्रैक्टर और रोबोटिक उपकरण सहित एआई-संचालित स्वचालन, रोपण, कटाई और निराई जैसे कार्य accuracy और efficiency के साथ कर सकता है।
भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की संभावनाएँ
AI भारत में कई ऐसे क्षेत्र हैं जिनमें इसे लेकर प्रयोग किये जा सकते हैं। उद्योग जगत ने सरकार को सुझाव दिया है कि वह उन क्षेत्रों की पहचान करे जहाँ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल लाभकारी हो सकता है। सरकार भी चाहती है कि सुशासन के लिहाज़ से देश में जहां संभव हो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल किया जाए। उद्योग जगत ने सरकार से इसके लिये कुछ बिंदुओं पर फोकस करने को कहा है:
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिये देश में एक अथॉरिटी बने जो इसके नियम-कायदे तय करे और पूरे क्षेत्र की निगरानी करे। सरकार उन क्षेत्रों की पहचान करे जहाँ प्राथमिकता के आधार पर इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। ऊर्जा, शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन, कृषि आदि इसके लिये उपयुक्त क्षेत्र हो सकते हैं।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस विगत कई दशकों से चर्चा के केंद्र में रहा है। वैज्ञानिक इसके अच्छे और बुरे परिणामों को लेकर समय-समय पर विचार-विमर्श करते रहते हैं। AI के आने के बाद से आज दुनिया कई तकनीक के माध्यम से तेज़ी से बदल रही है। विकास को गति देने और लोगों को बेहतर सुख-सुविधाएँ उपलब्ध कराने के लिये प्रत्येक क्षेत्र में अत्याधुनिक तकनीक का भरपूर उपयोग किया जा रहा है। बढ़ते औद्योगीकरण, शहरीकरण और भूमंडलीकरण ने जहाँ विकास की गति को तेज़ किया है।
हालांकि ये सत्य है कि इससे कई नई समस्याओं को भी जन्म दिया है, जिनका समाधान करने के लिये नित नए समाधान सामने आते रहते हैं। जहाँ वैज्ञानिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के अनेकानेक लाभ गिनाते हैं, वहीं वे यह भी मानते हैं कि इसके आने से सबसे बड़ा नुकसान मनुष्यों को ही होगा, क्योंकि उनका काम मशीनों से लिया जाएगा, जो स्वयं ही निर्णय लेने लगेंगी और उन पर नियंत्रण नहीं किया जा सकेगा, जो आने वाले समय में मानव सभ्यता के लिये हानिकारक हो सकते हैं। ऐसे में इनके इस्तेमाल से पहले लाभ और हानि दोनों को संतुलित करने के आवश्यकता होगी।